Monday, 11 August 2008

सबको सोना मुबारक हो


देश ओलंपिक में जीते गए स्वर्ण की अभिनव आभा से चमक रहा है। चमक इतनी तीव्र है कि आंखें चौंधिया रही हैं। जो आज तक न हो सका था, वह हो गया। अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर रायफल शूटिंग में वह पदक जीता है, जिसका इंतजार करते न केवल देशवासियों की पलकें थक गई थीं, बल्कि असंख्य देशवासियों ने स्वर्ण का इंतजार करना भी छोड़ दिया था। तो लीजिए, हाजिर है देश की झोली में एक नायाब स्वर्ण पदक, जिसने भारतीय खेल इतिहास में अपना अलग अध्याय बना लिया है। बेशक, देश की आजादी के बाद खेलों की दुनिया में यह भारत की सबसे बड़ी सफलता मानी जाएगी। अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भारत के खेल रत्न 25 वर्षीय अभिनव बिंद्रा लगभग सवा अरब देशवासियों की चोटिल उम्मीदों पर भी खरे उतरे हैं, उन्होंने निराशा को न केवल दूर किया है, बल्कि उम्मीदों को नई जमीन दी है। यह मानना चाहिए कि पिछले ओलंपिक में राज्यवद्धन सिंह राठौर ने रजत पदक जीतकर संकेत दे दिया था कि भारत के निशानेबाज स्वर्ण की दहलीज तक पहुंच गए हैं। पिछली बार हम रजत जीते और अब स्वर्ण हमारे साथ है, दरअसल खेल विरोधी किसी देश में सफलता की लड़ी ऐसे ही तैयार होती है। अभिनव अपनी योग्यता तो वर्ष 2000 में ही साबित कर चुके थे, लेकिन इस बार वक्त उन पर मेहरबान था, साथ ही, पूरे देश की आकांक्षा उनके साथ थी। यादगार कमाल हो गया। अभिनव की पहली प्रतिक्रिया थी, `आज मेरा दिन था।´

अभिनव की टिप्पणी में हम जोड़ सकते हैं, यह भारत का दिन था। अभिनव एक सहज खिलाड़ी हैं, बड़बोले तो बिल्कुल नहीं। शायद इसीलिए उनसे उम्मीद लगाने वालों की संख्या ज्यादा नहीं थी, लेकिन शायद इसीलिए अभिनव पर किसी तरह का दबाव नहीं था। निशानेबाजी एक मुश्किल खेल है। जिसमें बाल की खाल बराबर गलती भी आपको पदक की दौड़ में पछाड़ सकती है। गगन नारंग 600 में से 595 अंक लेने के बावजूद फायनल राउंड के योग्य नहीं बन पाए, जबकि 600 में 596 अंक लेकर अभिनव ने फायनल राउंड में भाग लेने की योग्यता हासिल की और योग्यता हासिल करने वालों में चौथे स्थान पर थे, सोचिए कि स्पद्धियों में कितना मामूली अंतर था। फाइनल में आखिरी शॉट बाकी था। अभिनव दूसरे स्थान पर थे। फिनलैंड के हेनरी पहले स्थान पर, लेकिन जहां आखिरी शॉट में अभिनव सबसे अव्वल रहे, वहीं हेनरी का आखिरी शॉट बिगड़ गया और वे कांस्य पदक पर आ गए। अभिनव का स्कोर 700.5, रजत विजेता चीन के जे किनान का स्कोर 699.7, कांस्य विजेता फिनलैंड के हेनरी का स्कोर 699.4 रहा। क्यों है न बाल की खाल बराबर अंतर? और इसीलिए खुशी जरूरत से ज्यादा है। अभिनव के पिता सातवें आसमान पर हैं, उन्होंने अपने बेटे के लिए उद्घोष किया, `सिंह इज किंग।´ अभिनव बिंद्रा अब देश के सबसे अमीर खिलाडि़यों में शुमार हो जाएंगे, क्योंकि अभी तक वे केवल रत्न थे, लेकिन अब रत्नेश हो गए हैं। वे युवा हैं, उनकी आंखों में भारत के भविष्य की चमक है। उम्मीदों से लबरेज होकर कहना चाहिए, यह भारत की शुरुआत है। शुरुआत मिल्खा सिंह के समय हो सकती थी, पी.टी. उषा के समय हो सकती थी, लेकिन अभिनव के समय हुई है। लोग 28 साल बाद स्वर्ण पाने की बात कर रहे हैं, लेकिन लगभग 112 सालों से हम ओलंपिक में भाग ले रहे थे, एकल स्वर्ण एक नहीं आया था। अब गर्व से दर्ज कीजिए, 11 अगस्त 2008 को हमारी आजादी के 61वें जश्न से महज चार दिन पहले देश ओलंपिक की स्वर्णिम अभिनव आभा से आल्हादित हुआ था। स्वागतम्, सु-स्वागतम्...

1 comment:

Udan Tashtari said...

जीत की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं!