Tuesday, 28 February 2012

श्री अरविन्द आश्रम, पांडिचेरी


पांडिचेरी में समुद्र के करीब अरविन्द आश्रम स्थित है। हालांकि उसके बहुत कम ही हिस्सों में आम लोग जा पाते हैं। वहां अरविन्द और मदर की समाधि है। जहां शांति बनाए रखने की इशारे लगातार किए जाते हैं। ज्यादा तामझाम नहीं है। फूलों से सजाई गई समाधि के इर्दगिर्द श्रद्धा से झुके हुए लोग, प्रार्थना प्रिय लोग मिल जाते हैं। यहां आकर पता चलता है कि उनमें लोगों की कितनी अथाह श्रद्धा है। मैंने गांधी जी की समाधि पर भी लोगों को इतना द्रवित होते कभी नहीं देखा है। फोटो इत्यादि लेने की इजाजत नहीं है। समाधि के आसपास ज्यादा जगह नहीं है। १०० से ज्यादा लोग वहां आ जाएं, तो जगह नहीं बचेगी। इसलिए आने-जाने के रास्ते अलग-अलग हैं। समाधि के दर्शन के बाद किताबों, चित्रों की प्रदर्शनी वाले कमरे हैं, जहां आप श्री अरविन्द व मदर से सम्बंधित रचनाएं व सामग्रियां खरीद सकते हैं। इन कमरों के ऊपर श्री अरविन्द की शिष्या मदर का ज्यादा समय बीता है। साल में दो बार इन ऊपर के कमरों के दर्शन आम लोगों को होते हैं। अगर आप वहां रुकना न चाहें, तो आप समाधि दर्शन करके पांच मिनट से भी कम समय में वापस सडक़ पर आ सकते हैं।
सडक़ के इर्दगिर्द आश्रम के ही निर्माण हैं। फ्रांसीसी शैली में बने भवन हैं। चौड़ी गलियां हैं। आश्रम के सामने ही गणेश जी का एक छोटा किन्तु अति संपन्न वर्नाकुलम विनायकम मंदिर है। मंदिर के अंदर भी एक मंदिर है, जिसकी छतरियां स्वर्ण की हैं। मंदिर की कुछ भीड़भाड़ के बावजूद इस पूरे इलाके में शांति रहती है, गलियों में सडक़ किनारे काजू के पेड़ हैं। कमल के फूल बिकते हैं, गजरा बिकता है। कुछ गलियां ऐसी हैं, जहां टहलते हुए लगता है, किसी यूरोपीय शहर में आ गए हों।

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