Sunday 19 February, 2012

लाल केला लाजवाब



२००३ में पहली बार दक्षिण गया था। कन्याकुमारी में समुद्र तट के पास लाल केले के सर्वप्रथम दर्शन हुए थे, मैंने केले बेचने वाले से पूछा था कि क्या यह रंगा गया केला है? उसने जवाब दिया था कि नहीं, असली लाल केला है। मुख्य रूप से केले तीन रंग के होते हैं, पीला, हरा और लाल। हरे केले की भी एक किस्म होती है, जो पकने के बाद भी हरी ही रहती है। खैर, पुड्डुचेरी के एक आम सब्जी बाजार में विश्वास के साथ मैं घुस गया कि लाल केले के दर्शन होंगे। निराशा नहीं हुई, घुसते ही लाल केले के दर्शन हो गए। दाम पूछा, ६० रुपए किलो, जबकि पीले केले २० रुपए किलो। कुछ केले लिए, चखे व साथियों को भी चखाए। यह सामान्य पीले केले से कुछ ज्यादा मीठा और नरम होता है। इसका गुद्दा हल्का सा गुलाबी होता है। दरअसल यह कोई भारतीय उत्पाद नहीं है। भारत में तो पीले और हरे केले ही सदा से रहे हैं। लाल केले सबसे पहले वेस्ट इंडीज या अमरीका में खोजे गए थे। ऑस्ट्रेलिया में बहुत पॉपुलर हैं और अमरीका में भी। अमरीका के लगभग सभी बड़े स्टोर पर लाल केले मिलते हैं, ऑस्ट्रेलिया में इसे रेड डक्का कहा जाता है। ये केले भारत में बहुत बाद में आए। दक्षिण भारत में यह पाए जाते हैं, लेकिन इनकी उपलब्धता कम है। खास बात यह है कि उत्तर भारत में ज्यादातर लोग लाल केले के बारे में जानते भी नहीं हैं।

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