Wednesday 19 December, 2012

दाग-ए-दिल्ली

हमारी राष्ट्रीय राजधानी अगर बलात्कार की राजधानी कहलाने लगी है, तो फिर इससे दुखद और चिंताजनक कोई बात हो नहीं सकती। राष्ट्रीय राजधानी का यह स्याह सच अब शर्म की हदें पार करने लगा है। निजी वाहनों में बलात्कार का दुस्साहस तो राजधानी ने पहले भी देखा है, लेकिन सार्वजनिक बस में एक पैरा-मेडिकल छात्रा से बलात्कार जघन्यतम अपराध की श्रेणी में कहा जाएगा, इतना ही नहीं, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित यह बोल चुकी हैं कि महिलाएं रात के समय अकेले न निकलें, वह छात्रा तो अकेली भी नहीं थी, उसके पुरूष मित्र को बुरी तरह से घायल करके सामूहिक दुस्साहस को अंजाम दिया गया। छात्रा को हत्या की हद तक घायल करके बस से धकेल दिया गया, अब वह जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। राजधानी के अपराधी इतने दुस्साहसी कैसे हो गए हैं? क्या उन पर किसी का अंकुश नहीं है? कहां है पुलिस और क्या करती रहती है? दूसरे देशों में भी राजधानियां हैं, जिन्हें आदर्श बनाने पर पूरा जोर रहता है, ताकि देश के दूसरे शहरों को सबक मिले। दिल्ली को तो शायद दशक भर से न जाने क्या हो गया है, अपराघियों, बलात्कारियों और छेड़छाड़ करने वालों के दिल से डर ही खत्म हो गया है। यहां यह गिनाने की जरूरत नहीं कि राष्ट्रीय राजधानी में सर्वोच्च अदालत है, जनप्रतिनघियों की सर्वोच्च पंचायत है, सर्वोच्च अफसर और सर्वोच्च नेता और सर्वोच्च चिंतकों का जमघट रहता है, क्या देश के सर्वोच्च कर्णधारों की चिंता व जमघट का कुल निचोड़ यह है कि राजधानी में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, दिल्ली उत्तरोत्तर बदनाम होती चली जा रही है। सबको सोचना होगा कि दिल्ली का सामाजिक, भावनात्मक ढांचा तार-तार क्यों हो गया है? संसद में सवालों का सामना करते हुए एक केन्द्रीय राज्यमंत्री की हंसी ने जवाब दे दिया कि सरकार गंभीर नहीं है। यह दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात है। किसी भी शहर में सभ्यता तभी जीवित रह सकती है, जब वहां मां-बहनें सुरक्षित हों। समाज के कर्णधारों को सोचना चाहिए कि हमें कंक्रीट के जंगल नहीं बनाने, हमें ऎसे शहर बनाने हैं, जहां लोग इज्जत से रह सकें, जहां कानून का राज हो, जहां लोग एक दूसरे की परवाह करें। चयन लोगों को करना है, कैसी सरकार चाहिए, कैसा शहर चाहिए। अगर हम इस अक्षम्य शोषण के सिलसिले को मिलजुलकर नहीं तोड़ेंगे, तो फिर सबको तैयार रहना चाहिए, क्योंकि दुनिया में किसी का भी समय हमेशा अच्छा नहीं रहता। - edit written by me for patrika and rajasthan patrika-

No comments: