Monday, 10 December 2012

रोटियां कम सेंकिए

आप अपने घर में रोटियां कम सेंकिए, क्योंकि रोटियां सेंकने का काम तो राजनेताओं का है, हां, यह बात जरूर है कि उनकी राजनीतिक रोटियों से किसी का पेट नहीं भरता। सितम्बर महीने से अब तक अगर आप तीन सिलेंडर ले चुके हैं, तो सावधान हो जाइए, चौथा सिलेंडर आपको ३८८ रुपये की बजाय ८६५ रुपये का पड़ेगा। मैंने लिया है ८ दिसम्बर को ८६५ रुपये का सिलेंडर। गैर-रियायती सिलेंडर की कीमत रियायती सिलेंडर की कीमत से ४७७ रुपये ज्यादा है। केन्द्र सरकार के प्रवक्ता और सोनिया गांधी के भाषण लेखक जनार्दन द्विवेदी ने ताल ठोंककर सितम्बर में घोषणा की थी, ‘कांग्रेस की राज्य सरकारें अपनी ओर से ३ सिलेंडर रियायती देंगी, कांग्रेस शासित राज्यों की जनता को ९ सिलेंडर हर साल रियायती दर पर मिलेंगे, और भाजपा सरकारों को अगर जनता की चिंता हैं, तो वे भी अपनी ओर से अपने राज्य के लोगों को तीन सिलेंडर रियायती दें।’
गैर-रियायती सिलेंडर का रसीद, रियायती सिलेंडर का रसीद, दोनों कीमतों का अंतर ४७७ रुपये
द्विवेदी जी और कांग्रेस के दावे की हवा निकल चुकी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री एकाधिक मौकों पर कह चुके हैं, ‘राजस्थान सरकार अपनी ओर से तीन रियायती सिलेंडर का वादा जरूर पूरा करेगी, चाहे इसके लिए केन्द्र से पैसा मिले या न मिले।’ गौर करने की बात है कि राजस्थान सरकार अगर अपनी ओर से तीन रियायती सिलेंडर देती है, तो उस पर लगभग ८०० करोड़ रुपये का भार आएगा। राजस्थान सरकार चाहती है कि यह भार केन्द्र सरकार उठाए, इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रयास भी किए, लेकिन नाकाम रहे। राजस्थान में सितम्बर के बाद जिन लोगों ने भी चौथा सिलेंडर लिया है, सबको ८६५ रुपये चुकाने पड़े हैं। कहां है अशोक गहलोत का दावा? उन्होंने पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व की बात क्यों नहीं स्वीकारी? क्या यह अनुशासनहीनता नहीं है? क्या कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व अशोक गहलोत के खिलाफ कार्रवाई करेगा? क्या कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने देश की जनता और अशोक गहलोत ने राजस्थान की जनता को धोखा नहीं दिया है? हमारे नेता इतने बड़े-बड़े झूठे दावे क्यों करते हैं? क्या ये जनता को मूर्ख समझते हैं? संभव है, गुजरात में चुनाव के बाद केन्द्र सरकार रियायती सिलेंडरों की संख्या बढ़ा देगी। तब शायद हर साल ६ की बजाय ९ सिलेंडर मिला करेंगे, लेकिन जो लोग अभी गैर-रियायती सिलेंडर के लिए ४७७ या ५०० रुपये ज्यादा चुका रहे हैं, क्या उनके नुकसान की भरपाई सरकार करेगी?

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