Wednesday 11 June, 2008

वर्दी में शर्म नहीं आती !


कभी-कभी पुलिस का ऐसा निर्मम चेहरा सामने आता है कि शर्म से सिर झुक जाता है। हरियाणा में एक महिला पुलिस वालों के सामने जब न्याय की गुहार लगाते-लगाते हार गई, तब उसने आत्महत्या जैसा मजबूर कदम उठाया। उसके साथ दो पुलिसकमियों ने बलात्कार किया था और महिला की बार-बार गुहार के बावजूद पुलिस दोषियों को बचा रही थी। आला अधिकारी भी कान में तेल डाले बैठे थे, अंतत: महिला द्वारा आत्महत्या के बाद ही पुलिस जागी। दोषी व फरार पुलिसकमियों को बर्खास्त किया गया। आज इस देश का हर जागरूक इंसान इस घटना और पुलिस के व्यवहार से स्तब्ध है। दोषी पुलिसकर्मी फरार हैं और परदे के पीछे रहकर बचने की जुगाड़ बिठा रहे हैं। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक भी इस वाकये को पुलिस बल पर धब्बा बता रहे हैं, लेकिन क्या इस मामले में उनका कोई दोष नहीं है? उनके पास भी तो न्याय के लिए दो छोटे-छोटे बच्चों की पीडि़त मां ने आवेदन किया था। महानिदेशक अमानवीय बने रहे। आराम से नौकरी बजा रहे दोनों दोषी पुलिस वाले महिला और उसके पति को आरोप वापस लेने के लिए धमकाने में जुटे हुए थे। हरियाणा की कांग्रेस सरकार को इस शर्मनाक वाकये के लिए माफी मांगनी चाहिए। सोनिया गांधी को इस घटना का संज्ञान लेना चाहिए। दोषियों की गिरफ्तारी होनी चाहिए, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। केवल यही नहीं, जो आला अधिकारी कान में तेल डालकर बैठे थे, उनके खिलाफ भी कारवाई होनी चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज ने कभी पुलिस बल को संगठित गिरोह कहा था। उस टिप्पणी को कोई और नहीं, बल्कि स्वयं पुलिस वाले साबित करते रहते हैं। जब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पुलिस को सबसे भ्रष्ट महकमा होने का अपमान हासिल है, तो फिर जयपुर, पटना जैसे शहरों में पुलिस के बारे में क्या कहा जाए? देश की पहली नागरिक महिला हैं, सत्तारूढ़ गठबंधन की मुखिया भी एक महिला ही हैं, लेकिन क्या इस देश में कोई सभ्य महिला अकेले शिकायत दर्ज कराने के लिए थाने जाने के बारे में सोच सकती है? अफसोस, हरियाणा के इस हादसे ने साबित कर दिया, खूब पढ़-लिखकर आईपीएस बने अधिकारियों में भी मानवीयता का स्तर शर्मनाक हो चला है।

5 comments:

समयचक्र said...

Apke vicharo se sahamat hun . har jagah yahi ho raha hai . thanks

Gyanesh upadhyay said...

Mahendra ji, dhanyvad,
darasal police par samajik dabaw na ke barabar hai, hamari pados mey jo police wale rahten hain, jo hamare restedaar hain, un par seedhe dabaw banane ki jaroorat hai

cartoonist ABHISHEK said...

Gyanesh ji
ab enhe vardiwaala GUNDA
na kaha jaye
to kya kha jaye...??

आर.के.सेठी said...

gyanesh ji, blog to maine bahut logon k dekhe hain,lekin samajik muddon se sarokaar sbhi nhi rakh pate.taza-tarin muddon par saaf raai padkar achha lga.shukria

Gyanesh upadhyay said...

bhai abhishek ji aur bhai sethi ji. aaj likhna din par din jaroori hota ja raha hai.
utsah badhane ke liye sukrgujaar rahunga,