बिहार की कला संस्कृति और युवा विभाग की मंत्री-बक्सर से विधायक डा.सुखदा पांडेय से यह वार्ता ई मेल के जजिये हुई थी, इसका समाचार पत्र में कहीं एक जगह प्रयोग नहीं कर पाया, अतः यहाँ पेश है-
प्र. - राजस्थान और बिहार के पर्यटन आपको क्या फर्क नजर आता है, राजस्थान तो इस मामले में बिहार से बहुत आगे है?
उ.—राजस्थान की खूबसूरती और इसकी बहुरंगी संस्कृति हमेशा से ही दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती रही है। यही के किलों का स्थापत्य, मंदिरों की सुंदरता,यहां के लोकजीवन में इतने रंग हैं कि शायद ही कोई राजस्थान से मुंह फेर सकता है। जाहिर है, राजस्थान के लोगों ने अपनी विशेषताओं को सहेज कर सुरक्षित रखा है, इसीलिए भारत में पर्यटकों के लिए आज राजस्थान सबसे बडा आकर्षण है। यह सच है कि बिहार के पास एतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थानों की कमी नहीं, खास कर भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध से जुडी स्मृतियां तो बिहार के कोने कोने में हैं, लेकिन यह भी सच है कि बिहार के कृषि आधारित समाज में इन स्थानों को कभी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कोशिश नहीं हो सकी। हमारी सरकार ने इस जरूरत को महसूस किया और पिछले छः वर्षों में पर्यटन के विकास की दिशा में कई कदम उठाए, जिसमें एक बिहार महोत्सव है, हम आपके घर आकर आपको आमंत्रित कर रहे हैं। खजुराहो महोत्सव की तरह हमने भी राजगीर, वैशाली, कुण्डलपुर, पटना साहिब जैसे स्थानों पर राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों की शुरुआत की है। पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।
प्र. - आज भी युवा बिहार छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं, उन्हें बिहार में ही रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उ.—हमारे लिए बिहार की युवा आबादी गर्व की बात है। आज यदि पूरी दुनिया में बिहार की छवि बदल रही है, तो इसमें युवाओं की बडी भूमिका है। बिहार के युवाओं ने तमाम राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में ही सफलता हासिल नहीं की, बल्कि सिनेमा, टेलीविजन और नाटक जैसे क्षेत्रों में अपनी उल्लेखनीय पहचान दर्ज कर रहे हैं। रही बात बिहार में नौकरी की, तो आपको आश्चर्य होगा कि विदेशों में सफलता हासिल कर चुके युवा भी आज गर्व के साथ बिहार लौट रहे हैं। इसके साथ यह भी सच है कि बिहार के युवा देश भर में नौकरियां कर रहे हैं, लेकिन इसमें शर्म की क्या बात है। देश में विभिन्न कारणों से एक दूसरे राज्य में आने जाने की परंपरा तो पुरानी है,कोई व्यवसाय के लिए जाते हैं, तो कोई रोजगार के लिए। बिहार में कई उद्योगों की शुरुआत होने वाली है, हम चाहेंगे कि देश भर से लोग हमारे यहां भी नोकरियां करने आएं। राष्ट्रीय एकता की दिशा में यह जरूरी भी है।
प्र.— बिहार जैसे पिछड़े राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए क्या किया जा रहा है?
उ.—बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग हमारी सरकार लगातार करती रही है। जहां भी अवसर मिला मुख्यमंत्री जी ने स्वयं इस मुद्दे को पूरी तार्किकता से उठाया। पटना मे आयोजित बिहार ग्लोबल समिट में आए मोंटेक सिंह आहलूवालिया समेत सभी अर्थशास्त्रियों की इस पर मोटामोटी सहमती भी देखी गयी, इसके बावजूद यदि केन्द्र सरकार इस मामले पर टालमटोल कर रही है, तो यह सिवा असंवेदनशीलता के क्या कहा जा सकता है। यूं भी मंहगाई हो या राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला केन्द्र सरकार की असंवेदनशालता कोई नई बात नहीं है।