Friday 29 October, 2010

अभी बहुत बाकी है



लालू और नीतीश कुमार मे यह फर्क है कि लालू ने बिहार मे पिछड़ी जातियों का मान बढाया था और उन्होंने बिहार के मान की कोई फिक्र नहीं की . लेकिन नीतीश कुमार ने पूरे बिहार का मान बढाया है. बिहार के बाहर बिहारियों की शर्म कुछ कम हुई है. लोग पहले बिहार की चर्चा चलती थी तो लालू, चारा और राबड़ी की बात करते थे. लेकिन अब जो परिवर्तन आया है उसे चतुर लालू भी महसूस करते होंगे. बिहार मे देर रात के समय भी कहीं जाना संभव हुआ है. पिछली बार जब बिहार गया था, तब एकमा स्टेशन पर रात दस बजे के बाद ट्रेन पहुंची थी, स्टेशन पर ट्रेन आने पर जरनेटर थोड़ी देर के लिए जला था और ट्रेन जाने के बाद जनरेटर बंद कर दिया गया. अमावास जैसी रात थी हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था, लगा कि क्या ऐसे ही रात बितानी पड़ेगी. लेकिन इतनी रात को भी जीप करके गाव पहुँच गए थे. मन मे एक बात खटक रही थी कि नीतीश कुमार अभी उर्जा के लिए कुछ नहीं कर पायें हैं. वैसे भी उर्जा के काम में काफी समय लगता है.
आज बिहार बिजली को तरस रहा है, बिजली अगर आ जाये तो आधा विकास तो वैसे ही हो जाएगा. बिजली से बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होता है. बिहार में जो भी नई सरकार बने सबसे ज्यादा ध्यान बिजली या उर्जा उत्पादन पर लगाना होगा. बिजली का आकर्षण कम से कम 20 प्रतिशत बिहारियों को अपने जन्म राज्य में खीच लाएगा.
वैसे तो नीतीश के जीतने की गुंजाइश बहुत ज्यादा है. अगर उनका गठबंधन नहीं जीता, तो लालू या कांग्रेस में भी अकेले दम पर सत्ता में आने की ताकत नहीं होगी. तो वे गठबंधन करेंगे. सत्ता में आयेंगे, उनके सत्ता में आने से उन तत्वों का मनोबल बढेगा जिनका नुक्सान नीतीश कुमार ने किया है. अपराधियों की एक बड़ी आबादी जेल में बैठ कर लालू के सत्ता में आने का इन्तेजार कर रही है. अपराधी जब बाहर आयेंगे तो राहुल गाँधी और तेजस्वी यादव का जोर नहीं चलेगा.
मैं अगर अपने अनुमान पर कुछ संभानाओं की बात करूं तो
पहली : राजग जीतेगा और नीतीश फिर कमान संभालेंगे .
दूसरी : नीतीश की पार्टी अकेले दम पर भी जीत सकती है. बीजेपी की ताकत घट जायेगी.
तीसरी : लालू, कांग्रेस और पासवान सांप्रदायिक ताकतों के विरोध के नाम पर मिलकर सरकार बनायेंगे.
चौथी : लालू और पासवान का गठबंधन सत्ता में आएगा. हालांकि इसकी सम्भावना कम है.
पाचवी : बीजेपी अगर बुरी तरह पिट जाए तो कांग्रेस नीतीश को समर्थन दे सकती है, लेकिन ऐसा तभी होगा जब कांग्रेस 40 से ज्यादा शीट जीते और बीजेपी 20 से कम. और जब जनता दल यू बहुमत से 35 -40 सीट कम रह जाए.

लेकिन फिलहाल बिहार के लिए सर्वोत्तम विकल्प यही होगा कि नीतीश फिर मुख्यमंत्री बनें और लालू फिर हार कर आलोचना में जुटे रहे.
नीतीश को लालू पहले सुशासन बाबू कहते थे, लेकिन अब नहीं बोलते हैं , नीतीश को फिर एक बार सुशासन पर ध्यान देता चाहिए ताकि लालू ही नहीं पूरा भारत उन्हें सुशासन बाबू बोल सके. बिहार को सुशासन की बड़ी जरूरत है. नीतीश सही बोल रहें हैं कि बहुत हुआ, लेकिन अभी बहुत बाकी है.

1 comment:

शब्द सितारे... said...

aap ne sahi kaha aur intjaar karnaa padegaa ek tarf kursi kaa aur vikaas kaaa...badhuyaa