जगदगुरु स्वामी रामनरेशाचार्य जी
पूज्य श्री कह रहे थे, मैं क्यों भेद करूं, जब ईश्वर भेद नहीं करता। सूर्य सबको समान किरण देता है, ब्राह्मण को भी उतना ही जितना शूद्र को, जितना गरीब को, उतना ही अमीर को। हवा भी सबको समान मिलती है, लेकिन भेद तो हम करते हैं। और अधिकतर जो समस्याएं हैं, वो वितरण की अपारदर्शिता के कारण हैं। अगर ईमानदार वितरण हो, तो किसी के साथ भी अन्याय नहीं होगा। पूज्य श्री जाति आधारित जनगणना की चर्चा से चिंतित हैं। उन्हें लगता है, जात-पात पूछने का युग फिर आ जाएगा। जगदगुरु रामानन्दाचार्य जात-पात पर कतई जोर नहीं देते थे। जात-पात पूछे नहीं कोई, हरि को भजे से हरि का होई। पूज्य श्री ने बताया कि वे एक ऐसे अभियान से जुड़े हैं, जिसका कार्य जाति आधारित जनगणना का विरोध करना है। यह जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने मन ही मन यह सोचना प्रारम्भ किया कि पूज्य श्री के चिंतन को कैसे दूर तक पहुंचाया जाए। कई बातें हुईं, वे कह रहे थे, सरस्वती पुत्रों के बीच प्रेम होना चाहिए। सरस्वती पुत्रों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। जरा यह सोचकर देखिए कि पढ़े-लिखे लोग अगर एकजुट हो जाएं, तो राष्ट्र के विकास की गति कितनी तेज हो सकती है। वामपंथ पर बात हुई। मैंने कहा, रामराज्य में ऐसे तत्व हैं, जो उसे वामपंथ से भी आगे रखते हैं। पूज्य श्री ने इसे स्वीकार करते हुए चंडीगढ़ के एक नास्तिक वामपंथी का उदाहरण दिया। एक रामकथा के वाचन के उपरांत उस व्यक्ति ने पूज्य श्री के चरण छुए, तो बहुतों को आश्चर्य हुआ कि जो व्यक्तिमंदिरों में ईश्वर के सामने हाथ नहीं जोड़ता, वह पूज्य श्री को प्रणाम कर रहा है। द्वितीय भेंट में पूज्य श्री ने हरिद्वार कुम्भ को भी याद किया। कुम्भ के प्रति प्रेम से वे लबालब थे। कई घटनाओं को उन्होंने याद किया। यह भी बताया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हरिद्वार गए थे। उत्तराखंड के राज्य अतिथि थे। यहां मैं यह बता दूं कि पूज्य श्री और अशोक गहलोत में बहुत प्रेम है। मैंने पूज्य श्री के मुख से अशोक गहलोत के लिए केवल प्रशंसा ही सुनी है। बहरहाल, अशोक जी हरिद्वार पहुंचे और पूज्य श्री से कहा, अपना राम मंदिर दिखलाइए। यहां यह बता दें कि हरिद्वार में पूज्य श्री के रामानन्द संप्रदाय की ओर से लगभग १५० करोड़ रुपयों की लागत से भव्य राम मंदिर बन रहा है। यह मंदिर कई तरह की विशेषताओं से युक्त होगा। इसकी पूरे देश में चर्चा है। पूज्य श्री ने टालने की कोशिश की, लेकिन अंतत: अशोक जी के साथ उन्हें हरिद्वार में निर्माणाधीन विशाल राम मंदिर के दर्शन के लिए जाना पड़ा। खांटी कांग्रेसी अशोक जी ने निर्माण देखकर बड़े प्रसन्न होकर अर्थपूर्ण टिप्पणी की, 'उनका तो बनेगा नहीं, अपना बन गया।
पूज्य श्री कह रहे थे, मैं क्यों भेद करूं, जब ईश्वर भेद नहीं करता। सूर्य सबको समान किरण देता है, ब्राह्मण को भी उतना ही जितना शूद्र को, जितना गरीब को, उतना ही अमीर को। हवा भी सबको समान मिलती है, लेकिन भेद तो हम करते हैं। और अधिकतर जो समस्याएं हैं, वो वितरण की अपारदर्शिता के कारण हैं। अगर ईमानदार वितरण हो, तो किसी के साथ भी अन्याय नहीं होगा। पूज्य श्री जाति आधारित जनगणना की चर्चा से चिंतित हैं। उन्हें लगता है, जात-पात पूछने का युग फिर आ जाएगा। जगदगुरु रामानन्दाचार्य जात-पात पर कतई जोर नहीं देते थे। जात-पात पूछे नहीं कोई, हरि को भजे से हरि का होई। पूज्य श्री ने बताया कि वे एक ऐसे अभियान से जुड़े हैं, जिसका कार्य जाति आधारित जनगणना का विरोध करना है। यह जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने मन ही मन यह सोचना प्रारम्भ किया कि पूज्य श्री के चिंतन को कैसे दूर तक पहुंचाया जाए। कई बातें हुईं, वे कह रहे थे, सरस्वती पुत्रों के बीच प्रेम होना चाहिए। सरस्वती पुत्रों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। जरा यह सोचकर देखिए कि पढ़े-लिखे लोग अगर एकजुट हो जाएं, तो राष्ट्र के विकास की गति कितनी तेज हो सकती है। वामपंथ पर बात हुई। मैंने कहा, रामराज्य में ऐसे तत्व हैं, जो उसे वामपंथ से भी आगे रखते हैं। पूज्य श्री ने इसे स्वीकार करते हुए चंडीगढ़ के एक नास्तिक वामपंथी का उदाहरण दिया। एक रामकथा के वाचन के उपरांत उस व्यक्ति ने पूज्य श्री के चरण छुए, तो बहुतों को आश्चर्य हुआ कि जो व्यक्तिमंदिरों में ईश्वर के सामने हाथ नहीं जोड़ता, वह पूज्य श्री को प्रणाम कर रहा है। द्वितीय भेंट में पूज्य श्री ने हरिद्वार कुम्भ को भी याद किया। कुम्भ के प्रति प्रेम से वे लबालब थे। कई घटनाओं को उन्होंने याद किया। यह भी बताया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हरिद्वार गए थे। उत्तराखंड के राज्य अतिथि थे। यहां मैं यह बता दूं कि पूज्य श्री और अशोक गहलोत में बहुत प्रेम है। मैंने पूज्य श्री के मुख से अशोक गहलोत के लिए केवल प्रशंसा ही सुनी है। बहरहाल, अशोक जी हरिद्वार पहुंचे और पूज्य श्री से कहा, अपना राम मंदिर दिखलाइए। यहां यह बता दें कि हरिद्वार में पूज्य श्री के रामानन्द संप्रदाय की ओर से लगभग १५० करोड़ रुपयों की लागत से भव्य राम मंदिर बन रहा है। यह मंदिर कई तरह की विशेषताओं से युक्त होगा। इसकी पूरे देश में चर्चा है। पूज्य श्री ने टालने की कोशिश की, लेकिन अंतत: अशोक जी के साथ उन्हें हरिद्वार में निर्माणाधीन विशाल राम मंदिर के दर्शन के लिए जाना पड़ा। खांटी कांग्रेसी अशोक जी ने निर्माण देखकर बड़े प्रसन्न होकर अर्थपूर्ण टिप्पणी की, 'उनका तो बनेगा नहीं, अपना बन गया।