राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बधाई। क्षेत्रवाद के खिलाफ उसका आदेश-निर्देश हाले ही बहुत देर से आया है, लेकिन उसे उत्तर भारतीयों की रक्षा के लिए अब अडिग रहना चाहिए। संघ को नया इतिहास लिखना है। अभी तक यही बात इतिहास में दर्ज है कि जब मुम्बई में गरीब उत्तर भारतीय लोग शिव सैनिकों व नवनिर्माण सेना के कथित राष्ट्र प्रेमी योद्धाओं के हाथों पिट रहे थे, तब स्वयंसेवकों का खून नहीं खौला था। क्या ऐसा इसलिए हुआ था, क्योंकि संघ का मुख्यालय नागपुर, महाराष्ट्र में है? शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि संघ ने शिव सेना को ललकारा है। शिव सेना जब मुम्बई पर अपनी बपौती की कोशिश में लगी है, तब संघ का हस्तक्षेप वाकई हर्ष पैदा करता है। बाला साहेब ठाकरे के हमलों का कोई तो जवाब दे और यह ताकत संघ में है। राष्ट्रीय एकता के लिए उससे बेहतर संघर्ष और कोई नहीं कर सकता।
बाला साहेब को दोटूक जवाब मिलना चाहिए कि क्षेत्रवादी हिंसा करने वालों को राष्ट्र की चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं है। क्षेत्रवादी हिंसा के समर्थकों को नस्लीय हिंसा पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। पिछले दिनों शिव सेना प्रमुख ने धमकी दे डाली थी कि अगर ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों पर हमले नहीं रुके, तो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट खिलाडियों को महाराष्ट्र में क्रिकेट खेलने नहीं दिया जाएगा। गौर कीजिए, शिव सेना की नीति और घृणा फैला रहे ऑस्ट्रेलिया के लोगों में समानता है। ऑस्ट्रेलिया के लोगों की शिकायत है कि भारतीय लोग ऑस्ट्रेलियाई परंपराओं से नहीं जुड़ते हैं और अलग समुदाय बनाकर रहते हैं, ठीक इसी तरह की शिकायत शिव सेना को उत्तर भारतीयों से रही है। ऐसे में, शिव सेना का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुंह खोलना शर्मनाक है।
शाहरुख और आमीर खान को टु इडियट्स कहा गया? शाहरुख को देशद्रोही कहा जा रहा है। क्या मजाक है? क्षेत्रवादी शिव सेना देशप्रेम का प्रमाणपत्र बांट रही है। यह बात नई नहीं है, बाला साहेब अकसर भारतीय क्रिकेट खिलाडियों और अभिनेताओं को आत्म सम्मान और देशभक्ति की नसीहत देते हैं, जब मुम्बई में क्षेत्रवादी हिंसा हो रही थी, तब उनकी देशभक्ति कहां थी? तब कहां था भारतीय होने का आत्म सम्मान ? बाला साहेब की राजनीति मराठियों को भी समझ में आने लगी है, तभी तो उनके लिए सत्ता दूर की कौड़ी हो गई है।
ऐसे लोगों से देशवासियों को सावधान रहना चाहिए। बाला साहेब ठाकरे का क्या है, वे तो कुछ समय तक राष्ट्र चिन्तन के बाद क्षेत्र चिन्तन में लौट जाएंगे। लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को तो सदैव राष्ट्र चिन्तन में सक्रिय रहना चाहिए। क्षेत्रवाद के खिलाफ किसी राजनीतिक पार्टी से भारत राष्ट्र की जनता को कोई आशा नहीं है। क्षेत्रवाद क्या देशद्रोह से कम है?
3 comments:
सब ेक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं भाजपा, शिवसेना ..उनका सरपरस्त संघ..
Ab tak to aisa hi raha hai, phir bhi ummeed karne me kya harj hai
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