भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने आईपीएल टूर्नामेंट विदेश में कराने का जो फैसला लिया है, वह अभी अंतिम भले न हो, लेकिन आयोजन विदेश में होता है, तो भारत के लिए दुखद होगा। जब तमाम देशों के क्रिकेट खिलाड़ी भारत में खेलते हैं, तो जाहिर है, देश का सम्मान बढ़ता है। क्रिकेट जगत में भारत के महाशक्ति होने का अहसास होता है, लेकिन जब आईपीएल टूर्नामेंट किसी पराए देश में आयोजित होगा, तब हमारे क्रिकेटीय अभिमान पर नकारात्मक असर पड़ेगा। यह हमारी सरकारों की नाकामी है। सरकार चुनाव की वजह से आईपीएल को सुरक्षा देने की स्थिति में नहीं है। पहले केन्द्र सरकार ने रोड़ा लगाया, फिर राज्य सरकारों ने एक-एक कर मजबूरियों का बखान कर दिया। केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने क्रिकेट प्रेमियों को निराश किया है। चिदंबरम के इशारे पर तीन बार आईपीएल टूर्नामेंट के कार्यक्रम को बदला गया, लेकिन इसके बावजूद बात नहीं बनी। अंततः चिदंबरम ने कह दिया, `चिंता केवल मतदान तिथियों पर होने वाले आईपीएल मैचों की नहीं है, चिंता समग्र सुरक्षा की है।ं अब दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमी भारत में सुरक्षा को लेकर चिंतित हो जाएंगे। सरकार को सुरक्षा के मद्देनजर हाथ खड़े करते देखना दुखद है। इस स्थिति के लिए शुद्ध रूप से सरकार दोषी है।
दरअसल, भारत में नेताओं की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। पुलिस बहुत हद तक केवल नेताओं की सुरक्षा के लिए ही तैनात की जाती है। ऐसे-ऐसे नेता हैं, जिनके पीछे सौ-सौ पुलिस वाले डोलते हैं। कटु सत्य है, चुनावी मौसम में सरकारें केवल नेताओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, जनता की सुरक्षा की परवाह अगर हमारी सरकारों को होती, तो सुरक्षा बलों और पुलिस बल में निर्धारित पद खाली न पड़े होते। हमारे सुरक्षा इंतजाम इतने पुख्ता होते कि चुनाव के साथ-साथ आईपीएल टूर्नामेंट भी होता।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, एक लाख लोगों की सुरक्षा के लिए 222 पुलिस वाले होने चाहिए, लेकिन भारत में महज 143 पुलिस वाले हैं। आंकड़े बताते हैं, सशस्त्र पुलिस बलों 13.८ प्रतिशत और नागरिक पुलिस बल में 9.8 प्रतिशत पद खाली हैं। निर्धारित पद भी जरूरत से कम हैं। नेता चाहें, तो अपने सुरक्षा में सौ-सौ पुलिसकर्मी रखें, लेकिन कृपया जनता को भगवान भरोसे न छोड़ें। बात सुरक्षा-रक्षा की हो रही है, तो बताते चलें कि थल सेना में 23.8 प्रतिशत, नौसेना में 16.7 प्रतिशत और वायु सेना में 12 प्रतिशत अफसरों के पद खाली हैं।
चिंता क्रिकेट की नहीं है, क्योंकि क्रिकेट की लोकप्रियता पर लगाम लगाना सरकार के वश में नहीं है। चिंता तो सुरक्षा की है, जिसकी वजह से क्रिकेट का एक रंगारंग आयोजन खटाई में पड़ने वाला है। पुलिसकर्मी कम हैं और उनके पास उपलब्ध संसाधनों का तो और भी बुरा हाल है। आतंकी हमलों से विचलित सरकार रिस्क लेना नहीं चाहती, तो न ले, लेकिन सुरक्षा के मोर्चे पर उसकी पोल फिर एक बार खुल गई है।
2 comments:
बहुत खूब भैया। खुशी हुई लंबे समय बाद आपको देखकर व पढकर।
आपने सही कहा, सरकार को केवल चुनाव की चिंता है। देश से बाहर मैच होने हैं तो फिर राजस्थान रॉयल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स की क्या जरूरत थी। यह पूरा मामला सुरक्षा का कम और राजनीति का ज्यादा है। इनके चक्कर में क्रिकेट प्रेमी यूं फंसे कि अपनी टीम को अपने देश में खेलते नहीं देख पाएंगे। वैसे भी अपने मोदीजी ने सोचा कि सीरिज न हो इससे तो अच्छा है कि देश से बाहर ही करा ली जाए।
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