मुझे यह बात कहने में कोई हिचक नहीं कि जो लोग बिहार को नहीं जानते, वही लालू प्रसाद यादव के बड़े प्रशंसक हो सकते हैं। लालू ने बिहार पर 15 साल तक राज किया, लेकिन उनके नेतृत्व में बिहार कितना आगे गया, इसका उत्तर लालू बेहतर जानते होंगे। लालू के अनेक प्रशंसक हैं, जो बिहारियों को गालियां देते हैं। केरल और तमिलनाडु और यहां तक कि मुंबई में रहने वाले भी लालू की मुस्कान, हेयर स्टाइल, संवाद शैली के दीवाने हैं। लालू जब मुंह खोलते हैं, तो प्रियदर्शन की कॉमेडी फिल्मों से भी ज्यादा मनोरंजन करते हैं।
रेलवे में लालू के काम को खूब सराहा जाता है, लेकिन रेलवे की बदइंतजामी पर किसी का ध्यान नहीं जाता। ट्रेनों में करीब आधे टिकटों को लालू तत्काल श्रेणी में बेच रहे हैं। 300 रुपये का टिकट 450 रुपये में बेचकर रेलवे को लाभ नहीं होगा, तो क्या होगा? ज्यादातर ट्रेनों में अगर आप आरक्षण करवाने में दस-बारह दिन की देरी कर दें, तो आपको तत्काल में टिकट लेने का इंतजार करना होगा। लालू का वश चले, तो वे रेलवे के मुनाफे के लिए 90 फीसदी टिकट को तत्काल श्रेणी में डलवा दें। ट्रेनें खूब लेट चलती हैं, रोज हजारों लोगों की ट्रेन छूट जाती है, लेकिन रेलवे कितनों के पैसे वापस करता है, शायद लालू ने इस पर कभी गौर नहीं फरमाया। जैसे तत्काल में जरूरत से ज्यादा पैसे वसूलना लूट है, वैसे ही छूटी हुई ट्रेनों के पैसे न लौटाना भी लूट है। लालू ने रेलवे का जितना दोहन किया है, उतना किसी ने नहीं किया, ऐसे में, मुनाफा भी खूब हुआ है। कहां गया लालू का चूकड़ अभियान, मतलब मिट्टी के पात्र में चाय परोसने का फरमान?
शुरू में प्रबंधन संस्थान भी लालू पर लट्टू थे, लेकिन लालू की पोल खुलते देर नहीं लगी, अब उन्हें कोई नहीं बुलाता। लालू का प्रबंधन बिहार भुगत चुका है। तरक्की की दौड़ में लालू का बिहार आज कहां है, यह भी तो देखना चाहिए। लालू पर फिदा लोगों को कृपया बिहार के किसी ऐसे गांव में जाकर रहना चाहिए, जहां न सड़क है, न बिजली, न साफ पेयजल, जहां खुले में फारिग होना पड़ता है। जहां रात के भयानक अंधेरे में कुछ-कुछ देर बाद `जाग... हो´ -जागते रहो - की डरावनी गूंज उठती है। जहां चोरों, डकैतों को पकड़ा नहीं जाता। रात के अंधेरे में डकैत लूटते हैं और उसके बाद जांच और पेट्रोल-पानी के नाम पर पुलिस दिनदहाड़े लूटती है। पहाड़ खोदने का नाटक किया जाता है और एक चूहिया भी बरामद नहीं होती। पुलिस अपने इलाके के गुंडों पर हाथ धरने से बचती है कि न जाने किस गुंडे को लालू, पासवान या नीतीश जैसे नेता चुनाव में टिकट देकर खड़ा कर देंगे।
तो कृपया, लालू को प्रेम प्रस्ताव करने से पहले एक बार बिहार का मजा अवश्य लें, तभी लालू जी की कामयाब मुस्कान का मतलब समझ में आएगा।
2 comments:
खूब लिखा अच्छा लिखा .... श्रीमान लालू प्रसाद यादव की कलाई खोल दी. सही बात है जब हद से ज्यादा दोहन होगा तो मुनाफा तो होगा ही.
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