हरिलाल गांधी
(1888-1948)
गांधी जी के सबसे बड़े पुत्र हरिलाल इंग्लैण्ड से वकालत करना चाहते थे, लेकिन गांधी जी ने विरोध जताया। गांधी मानते थे कि अंग्रेजी पद्धति की शिक्षा से भारतीय आंदोलन में कोई खास मदद नहीं मिलेगी। हरिलाल विद्रोही हो गए, 23 की उम्र में हरिलाल ने घर छोड़ दिया। पिता को परेशान करने के लिए इस्लाम धर्म कबूल कर लिया, हालांकि बाद में हिन्दू धर्म में लौट आए। इनका विवाह 18 की आयु में गुलाब वोहरा से हुआ था। 1918 में पत्नी की मृत्यु के बाद गांधी जी से उनके सम्बंधों में खींचतान काफी बढ़ गई थी। इनका जीवन अच्छा नहीं बीता। गांधी जी के निधन के चार महीने बाद लीवर की बीमारी से पीडि़त हरिलाल ने 18 जून 1948 को देह त्याग दी। हरिलाल के जीवन पर ‘गांधी माई फादर’ नाम की फिल्म भी बनी थी। इनके दो पुत्र और दो पुत्रियां हुईं, जिनमें से तीन के परिवार आगे चल रहे हैं।
मणिलाल गांधी
(1892-1956)
मणिलाल गांधी ने अपने जीवनकाल में मुख्यतौर पर प्रेस का काम किया। गांधी तो भारत लौट आए, लेकिन मणिलाल दक्षिण अफ्रीका में ही रह गए। उन्होंने वहां गांधी आश्रम फिनिक्स फार्म को किसी तरह से संभाला। चरित्र के मामले में गांधी जी उनसे खुश नहीं रहते थे। गांधी जी के भारत लौटने के बाद मणिलाल को आजादी मिली। बाद में मणिलाल पिता से मिलने भारत आए थे और अपने तीखे उलाहनों से उन्हें परेशान भी किया था। वे अपनी विफलताओं के लिए पिता को जिम्मेदार मानते थे। 1927 में सुशीला मशरूवाला से उनकी शादी हुई, जिनका निधन 1988 में हुआ। इन्होंने दक्षिण अफ्रीका में ‘इंडियन ओपिनियन’ अंग्रेजी-गुजराती पत्रिका में वर्ष 1917 से काम शुरू किया। 1920 में उक्त पत्रिका के संपादक बने और मृत्यु तक इस पद पर रहे। इनके दो बेटियों और एक बेटे का परिवार आगे चल रहा है।
रामदास गांधी
(1896-1969)
गांधी जी के तीसरे पुत्र रामदास पिता के सच्चे भक्त थे। उन्होंने कभी भी पिता को नाराज करने वाले काम नहीं किए। उन्होंने पिता के अनुशासन में रहकर जीवन बिताया। गांधी जी रामदास जी को अपना सबसे अच्छा बेटा कहा करते थे। रामदास ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया, इस दौरान कई बार जेल भी गए। जिसके फलस्वरूप इनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा। इनकी शादी 1927 में गांधी जी की मर्जी से साबरमती आश्रम की सदस्या निर्मला से हुई थी। निर्मला को आश्रम में नीमू बहन के नाम से जाना जाता था। अपने पति की मृत्यु के बाद नीमू बहन ने साबरमति आश्रम में ही अपना बाकी समय बिताया। खास बात यह थी कि रामदास अपने तीनों भाइयों से ज्यादा दिन तक जीवित भी रहे। इन्होंने ही अपने पिता को मुखाग्नि दी थी। इनकी दो बेटियों और एक बेटे का परिवार चल रहा है।
देवदास गांधी
(1900-1957)
देवदास गांधी का जन्म दक्षिण अफ्रीका में हुआ था और अपने यौवनकाल में भारत आए थे। गांधी जी के बेटों में ये सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे और लोकाचार में कुशल थे। स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल भी गए। इन्होंने 1933 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की पुत्री लक्ष्मी से विवाह किया। इस विवाह
का विरोध न केवल राजगोपालाचारी, बल्कि गांधी जी ने भी किया था। देवदास गांधी अपने समय के प्रतिष्ठित पत्रकार थे, हिन्दुस्तान टाइम्स के संपादक भी हुए। पिता के ब्रह्मचर्य सम्बंधी प्रयोगों का उन्होंने हमेशा विरोध किया, पिता की विराट छवि को लेकर सदा सजग रहे। इनकी एक बेटी और तीन बेटों का परिवार आगे चल रहा है।
(1888-1948)
गांधी जी के सबसे बड़े पुत्र हरिलाल इंग्लैण्ड से वकालत करना चाहते थे, लेकिन गांधी जी ने विरोध जताया। गांधी मानते थे कि अंग्रेजी पद्धति की शिक्षा से भारतीय आंदोलन में कोई खास मदद नहीं मिलेगी। हरिलाल विद्रोही हो गए, 23 की उम्र में हरिलाल ने घर छोड़ दिया। पिता को परेशान करने के लिए इस्लाम धर्म कबूल कर लिया, हालांकि बाद में हिन्दू धर्म में लौट आए। इनका विवाह 18 की आयु में गुलाब वोहरा से हुआ था। 1918 में पत्नी की मृत्यु के बाद गांधी जी से उनके सम्बंधों में खींचतान काफी बढ़ गई थी। इनका जीवन अच्छा नहीं बीता। गांधी जी के निधन के चार महीने बाद लीवर की बीमारी से पीडि़त हरिलाल ने 18 जून 1948 को देह त्याग दी। हरिलाल के जीवन पर ‘गांधी माई फादर’ नाम की फिल्म भी बनी थी। इनके दो पुत्र और दो पुत्रियां हुईं, जिनमें से तीन के परिवार आगे चल रहे हैं।
मणिलाल गांधी
(1892-1956)
मणिलाल गांधी ने अपने जीवनकाल में मुख्यतौर पर प्रेस का काम किया। गांधी तो भारत लौट आए, लेकिन मणिलाल दक्षिण अफ्रीका में ही रह गए। उन्होंने वहां गांधी आश्रम फिनिक्स फार्म को किसी तरह से संभाला। चरित्र के मामले में गांधी जी उनसे खुश नहीं रहते थे। गांधी जी के भारत लौटने के बाद मणिलाल को आजादी मिली। बाद में मणिलाल पिता से मिलने भारत आए थे और अपने तीखे उलाहनों से उन्हें परेशान भी किया था। वे अपनी विफलताओं के लिए पिता को जिम्मेदार मानते थे। 1927 में सुशीला मशरूवाला से उनकी शादी हुई, जिनका निधन 1988 में हुआ। इन्होंने दक्षिण अफ्रीका में ‘इंडियन ओपिनियन’ अंग्रेजी-गुजराती पत्रिका में वर्ष 1917 से काम शुरू किया। 1920 में उक्त पत्रिका के संपादक बने और मृत्यु तक इस पद पर रहे। इनके दो बेटियों और एक बेटे का परिवार आगे चल रहा है।
रामदास गांधी
(1896-1969)
गांधी जी के तीसरे पुत्र रामदास पिता के सच्चे भक्त थे। उन्होंने कभी भी पिता को नाराज करने वाले काम नहीं किए। उन्होंने पिता के अनुशासन में रहकर जीवन बिताया। गांधी जी रामदास जी को अपना सबसे अच्छा बेटा कहा करते थे। रामदास ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया, इस दौरान कई बार जेल भी गए। जिसके फलस्वरूप इनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा। इनकी शादी 1927 में गांधी जी की मर्जी से साबरमती आश्रम की सदस्या निर्मला से हुई थी। निर्मला को आश्रम में नीमू बहन के नाम से जाना जाता था। अपने पति की मृत्यु के बाद नीमू बहन ने साबरमति आश्रम में ही अपना बाकी समय बिताया। खास बात यह थी कि रामदास अपने तीनों भाइयों से ज्यादा दिन तक जीवित भी रहे। इन्होंने ही अपने पिता को मुखाग्नि दी थी। इनकी दो बेटियों और एक बेटे का परिवार चल रहा है।
देवदास गांधी
(1900-1957)
देवदास गांधी का जन्म दक्षिण अफ्रीका में हुआ था और अपने यौवनकाल में भारत आए थे। गांधी जी के बेटों में ये सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे और लोकाचार में कुशल थे। स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल भी गए। इन्होंने 1933 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की पुत्री लक्ष्मी से विवाह किया। इस विवाह
का विरोध न केवल राजगोपालाचारी, बल्कि गांधी जी ने भी किया था। देवदास गांधी अपने समय के प्रतिष्ठित पत्रकार थे, हिन्दुस्तान टाइम्स के संपादक भी हुए। पिता के ब्रह्मचर्य सम्बंधी प्रयोगों का उन्होंने हमेशा विरोध किया, पिता की विराट छवि को लेकर सदा सजग रहे। इनकी एक बेटी और तीन बेटों का परिवार आगे चल रहा है।
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