ओतावियो के को गैर-जमानती वारंट से मुक्ति न केवल शर्मनाक, बल्कि हमारे देश की कानून-व्यवस्था पर एक तमाचा है। बोफोर्स सौदे में 64 करोड़ की दलाली लेने संबंधी आरोप कभी राजीव गांधी पर ढंग से नहीं चिपका, जनता उन्हें आज भी एक साफ नेता के रूप में याद करती है, लेकिन इस सौदे में क्वात्रोच्ची की भूमिका पर हर जागरूक भारतीय को शक रहा है। अब सीबीआई ने इंटरपोल को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि क्वात्रोच्ची को मोस्ट वांटेड की सूची से हटा दिया जाए। इस सूची से हटते ही क्वात्रोच्ची आजाद हो जाएगा। क्वात्रोच्ची पर अभी भी मुकदमा चल रहा है, मुख भारत आने से बच रहा है क्वात्रोच्ची को मुक्ति देना क्यों जरूरी हो गया था? कांग्रेस को अब अनेक सवालों का जवाब देना होगा।
दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट के निशाने पर आए नरेन्द्र मोदी ने भी यूपीए सरकार को निशाने पर ले लिया है, मोदी पूछ रहे हैं, `मोदी को जेल और विदेशी को बेल? कांग्रेस क्या जवाब देगी? कांग्रेस शायद यही कहेगी कि क्वात्रोच्ची को भारत नही लाया जा सकता, इसलिए उसे छोड़ देना चाहिए, कांग्रेस यह भी कह रही है कि सीबीआई आजाद संस्था है, लेकिन सब जानते हैं कि सीबीआई की छवि कितनी खराब हो चुकी है। अभी विगत दिनों ही कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को सीबीआई के नाम से धमका रहे थे। अब भाजपा ने सीबीआई को नया नाम दिया है, उसे अब `कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशनं कहा जा रहा है। बीच चुनाव में कांग्रेस ने एक निंदनीय कदम उठाया है, इसका बचाव नहीं किया जा सकता।
क्वात्रोच्ची के प्रति यूपीए सरकार की नरमी पहले से ही जाहिर थी। कभी न चुनाव लड़ने वाले गांधी परिवार के समर्पित सेवक व केन्द्रीय विधि मंत्री हंसराज भारद्वाज अनेक मौकों पर क्वात्रोच्ची को रियायत पहुंचाते दिखे हैं। भारद्वाज के मंत्रालय ने ही क्वात्रोच्ची के दो विवादित खातों पर से रोक हटवाने का फैसला किया था। ये वो दो खाते थे, जिनमें बोफोर्स दलाली की रकम जमा बताई गई थी। भारद्वाज ने सीबीआई को भी नहीं बताया था। खातों पर से रोक हटते ही क्वात्रोच्ची ने दोनों खातों से धन निकाल लिया। एक और उदाहरण, क्वात्रोच्ची फरवरी 2007 में अर्जेंटीना में इंटरपोल की गिरफ्त में आ गया था, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने पूरे 16 दिन तक इस खबर को देशवासियों और यहां तक कि कोर्ट से भी छिपाए रखा था। यही वह समय था, जब भारत में क्वात्रोच्ची का पुत्र अपने पिता के बचाव के लिए नई दिल्ली में मौजूद था। सुबूतों के अभाव में क्वात्रोच्ची को फिर मुक्ति मिल गई। अब अपने कार्यकाल के आखिरी महीने में यूपीए सरकार ने क्वात्रोच्ची को सबसे बड़ी राहत का तोहफा दिया है। हमारे देश को ठगने के आरोपी दलाल क्वात्रोच्ची से कांग्रेस की दोस्ती एक मिसाल बन गई है। किसी अन्य देश में किसी इतने बड़े आरोपी के प्रति ऐसी रियायत असंभव है। सीबीआई अब एक मजाक बनकर रह गई है। उसके सम्मान की वापसी मुश्किल है। उसमें काम करने का लोकतांत्रिक तरीका खत्म हो चुका है, उसे बिल्कुल राजशाही तौर-तरीकों से चलाया जा रहा है। कांग्रेस के विज्ञापनों में आजकल लालबहादुर शास्त्री भी नजर आते हैं, लेकिन शास्त्री जी ने जिस मकसद से सीबीआई को खड़ा किया था, उस मकसद को सत्ता लील चुकी है। केन्द्रीय सत्ता में बैठे और नैतिकता की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले नेताओं से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी।
बीच चुनाव में कांग्रेस ने यह कदम सोच समझ कर उठाया है, कदम अगर चुनाव से पहले उठाया गया होता तो कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होता, खैर ऐसा लग रहा है, कांग्रेस को सत्ता से जाने का अहसास होने लगा है,