अविश्वसनीय, अकल्पनीय,... आज ऐसे ही कुछ शब्दों की जरूरत है, लेकिन ऐसे शब्द कम पड़ रहे हैं। हमारे जयपुर में जो हुआ है, उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। मंगलवार, 13 मई 2008 पुराने शहर के स्वçर्णम इतिहास के सबसे काले दिन के रूप में दर्ज हो जाएगा। मंगलवार की शुरुआत ही आंधी-बारिश के साथ हुई थी और शाम ढलते-ढलते जो नजारे बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया, सांगानेरी गेट, सुभाष चौक, चांदपोल में दिखे, उसे देख किसी की भी आंखें नम हो जातीं। वे इलाके खून से लथपथ हो गए, जिन इलाकों की रौनक पूरी दुनिया में मशहूर थी। यह कहते हुए हमारा मन भारी हो जाता है कि जयपुर अब पहले जैसा सुरक्षित नहीं रहा। जिस आजादी के साथ यहां पर्यटक घूमा करते थे, लोग चौपड़ों पर घंटों गप्प लड़ाते थे, बाजारों में टहला करते थे, उस पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा। जयपुर घायल है, दुखी है, लेकिन यह समय हाथ पर हाथ रखकर बैठने या खून देखकर घबराने का नहीं है। यह समय हार मानकर घरों में çछप जाने का नहीं है, यह समय जोर-जोर से रोने या शोक मनाने का नहीं है, यह समय अफवाहें फैलाने का नहीं है, यह समय झूठ पर विश्वास करने का नहीं है। यह समय तो अपने शहर पर हुए हमले का मुंहतोड़ जवाब देने का है। यह समय सचाइयों को परखने का है। यह समय सावधान हो जाने का है। यह समय एक दूसरे को जानने और समझने का है। यह समय एकजुट होने का है। ये विस्फोट बड़ी चुनौती हैं और जयपुर इस चुनौती का सामना करने में पूर्ण सक्षम है। जिन आतंकियों ने जयपुर के चमकदार माथे पर पत्थर मारा है, वे किसी भी हाल में बचकर नहीं जाने चाहिए। सूचना है कि खुफिया एजेंसियों ने जयपुर में हमले के बारे में पहले ही आगाह कर दिया था, लेकिन पुलिस का खुफिया महकमा और पुलिस पूरी तरह से नाकाम रही। जयपुर पुलिस के लिए यह हमला शर्मनाक है। पुलिस के हालिया इतिहास को याद करना गलत नहीं होगा। एक थानेदार, एक एसआई, एक एएसआई को अवैध वसूली करते रंगे हाथ पकड़ा गया था। क्या यही है सुरक्षित जयपुर की पुलिस? अगर जयपुर की पुलिस वाकई काबिल है, तो यह आगामी चार-पांच दिन में साबित हो जाना चाहिए। यह विस्फोट आतंकी संगठनों के स्लीपिंग सेल का काम हो सकता है। पाकिस्तानी मूल वाले आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा और बांग्लादेशी मूल वाले हूजी पर शक जताया जा रहा है, लेकिन केवल शक जताने से कुछ नहीं होगा। पिछले साल 11 अक्टूबर को अजमेर में ख्वाजा की दरगाह पर विस्फोट हुए थे, उनमें भी आतंकियों का पता नहीं चला था, लेकिन जयपुर में ऐसा नहीं होना चाहिए। राज्य सरकार से लेकर केन्द्र सरकार तक सक्रिय हो गई है, पूरे देश में अलर्ट घोषित हो गया है। देश के एक सबसे शांत शहर पर हमला हुआ है, आतंकियों के काले इरादे बिल्कुल जाहिर हैं। वे भारत में अमन-चैन के मशहूर इलाकों को भी नफरत और हिंसा की आग में झोंकना चाहते हैं, उन्हें नाकाम करना जरूरी है। पुलिस को सावधानी और संयम का भी व्यवहार करना होगा, ताकि लोगों में घबराहट न फैले। मंगलवार को विस्फोट के बाद शहर में अघोषित कफ्यूü जैसा हाल है, शहर में माहौल को जल्द से जल्द सामान्य बनाना होगा। आज शोक सभाओं की नहीं, बल्कि सतर्कता सभाओं की जरूरत है, इसी में हमारी जीत है और हम जीतेंगे।
साधु को सदा याद रहे कि वह साधु है
1 month ago
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