tag:blogger.com,1999:blog-1058259496569722800.post7326801152824893261..comments2023-10-26T20:55:40.111+05:30Comments on ज्ञानघर: चुभ गया कोटा का कांटाGyanesh upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/16886738608348628039noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1058259496569722800.post-14599174177827280022008-06-21T02:30:00.000+05:302008-06-21T02:30:00.000+05:30मैं भी 1997 में पीएमटी की कोचिंग के लिए कोटा में थ...मैं भी 1997 में पीएमटी की कोचिंग के लिए कोटा में था। एक आध बार आप वाले खड़े गणेशजी के मंदिर भी गया हूं। आपने बिल्कुल सही बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। शायद हमारे fद्ववेदीजी (दिनेशरायजी) कोटा वालों तक इस बात को पहुंचा सकें। वैसे पुराने मंदिरों की दुर्दशा कमोबेश हर जगह एक ही जैसी तरह हो रही है। अपन के मोती डूंगरी गणेशजी की किस्मत ठीक है कि उनका मैनेजमेंट एक ट्रस्ट के पास है और आजकल तो यहां अंबानीजी भी आते रहते हैं !राजीव जैनhttps://www.blogger.com/profile/07241456869337929788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1058259496569722800.post-62988620645965681082008-06-21T02:21:00.000+05:302008-06-21T02:21:00.000+05:30आपके ब्लॉग का शीषॅक देखकर तो यही लगा कि वसुंधरा सर...आपके ब्लॉग का शीषॅक देखकर तो यही लगा कि वसुंधरा सरकार ने आरक्षण की जो रेवड़ियां बांटी हैं, उससे उत्पन्न हुई कोटे की स्थिति पर आपने अपना ददॅ साझा किया हो, लेकिन आद्योपांत पढ़ने के बाद हकीकत सामने आई। क्या सटीक उपाय सुझाया है आपने, मंदिर पर किए गए खचॅ के समय थोड़ी समझदारी दिखाई गई होती तो खड़े गणेश जी को ठीक से खड़े होने की जगह दी जा सकती थी। दूसरी बात, भारतीय पूजन परंपरा भी ईश्वर को खुद के स्थान पर मानकर पूजा करने की ही रही है, तभी तो मंदिरों में मंगला से लेकर शयन आरती तक की झांकी होती है। अन्यथा प्राणिमात्र को जीवन देने वाला परमेश्वर कभी सो सकता है। आशा है, आपकी सलाह से आम आदमी प्रभु की पूजा या प्रसाद अपॅण करने की सही तकनीक समझ पाएगा तथा कोटा के लोग आज न कल आपके दिल में लगा कांटा निकालने की पहल करेंगे।manglamhttps://www.blogger.com/profile/09256454129822743663noreply@blogger.com